संस्मरण >> निज नैनहिं देखी निज नैनहिं देखीकेशवचन्द्र वर्मा
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लीनों में तो उनकी पहचान नितान्त विशिष्ट है ही-वे स्वयं अपनी रचना प्रक्रिया को अपनी विविधता से चुनौती देते हैं। इसका साक्ष्य-केशव जी का लेखन जो देश के तमाम प्रमुख पत्रों और पत्रिकाओं में पिछले कई दशकों में छपकर उपलब्ध होता रहा है
निरन्तर पिछले पचास वर्षो से हिन्दी में लिखते रहने वाले थी केशवचन्द्र वर्मा का नाम इस कारण भी रेखांकित किया जाता है कि उन्होंने न केवल व्यंग्य-लेखन की हर विधा में सर्वप्रथम श्रेष्ठ उपलब्धियों वाली रचनाएँ कीं-चाहे हास्य व्यंग्य के उपन्यास हों, कहानियां हों, सम्पूर्ण नाटक और निबन्ध हों-परन्तु अन्य गंभीर रचना के क्षेत्र में अपनी कविताओं और संगीत विषयक अनेक कृतियों को हिन्दी में पहली बार प्रस्तुत करने का श्रेय भी पाया है। हिन्दी साहित्य के किताबी इतिहास से उसे मुक्त करके इधर केशव जी ने जिस तरह अपनी पुस्तकों-' ताकि सनद रहे ' और उसी क्रम में ' निज नैनहिं देखी ' को अपने प्रामाणिक निजी साक्ष्य के रूप में प्रकाशित किया है, वह निस्संदेह उन्हें इस क्षेत्र में भी यकता बनाती है। अपनी समकालीनों में तो उनकी पहचान नितान्त विशिष्ट है ही-वे स्वयं अपनी रचना प्रक्रिया को अपनी विविधता से चुनौती देते हैं। इसका साक्ष्य-केशव जी का लेखन जो देश के तमाम प्रमुख पत्रों और पत्रिकाओं में पिछले कई दशकों में छपकर उपलब्ध होता रहा है।
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